२.साईं भक्तरचित काव्य

१.अपना वचन निभाये साई
 विपदा दूर भगाई साई
 माथे लगाये जो शिरडी की मिट्टी
साई कर दे उसके कष्टो से छुट्टी    
                 
२. बाबा नूर तेरी मोहब्बत का
मेरे नैनों में समा गया
देख सारी दुनिया छोड़
तेरे दर पे आ गया
                    
३. जहाँ बरसता है खुशीओं का संसार
जहाँ मिलता है सबको एक जैसा प्यार
जहाँ होती है स्वर्ग कि शुरुवात
वो कुछ और नहीं वो है मेरे साई का दरबार
                      
४. चन्दा में साईं की है चाँदनी,
सूरज में है साईं का तेज..
अपने रंग में रंगता सबको
मेरा साईं है ऐसा रंगरेज..
श्री सच्चिदानंद साईं नाथ महाराज के
चरणकमलों में हमारा बार बार नमस्कार
                      
५. खुद को साबित करने के लिए मौका
मिलने के आप हकदार हैं सफलता की
नींव आप खुद हैं दूसरे क्या सोच रहे हैं,
 इस बारे में अनुमान लगाते रहना
नकारात्मक सोच की निशानी है

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