साईं भक्तरचित काव्य
१. प्रभु प्रेम बनाये रखना, चरणों से लगाये रखना
एक आश तुम्हारी है, विश्वास तुम्हारा है
तेरा ही भरोसा है, तेरा ही सहारा है
१. प्रभु प्रेम बनाये रखना, चरणों से लगाये रखना
एक आश तुम्हारी है, विश्वास तुम्हारा है
तेरा ही भरोसा है, तेरा ही सहारा है
२.करम माँगता हूँ अता मागता हूँ
ऐ साई मैं तुझसे दुआ मागता हूँ
रहम कर जहाँ पर ऐ मेरे मालिक
मैं सारे जहाँ का भला मागता हूँ ...
3.मेरे साई मेरे मालिक मेरी रखना लाज
कभी किसी का न मैं होऊँ मोहताज़
मुझे है बस तेरी ही आस
मेरे साई मुझे रखना सदा अपने चरणों के पास...
४.खुश किस्मत होते है वो लोग जो
तलाश बनते है साई की,
वरना पसंद तो कोई भी
कर लेता है । मेरे साई
५.दुःख के अँधेरे में उजाला साई नाम का
विपदा में सहारा बस एक साई नाम का
मिला ये जीवन जिसकी कृपा से
उसका सिमरन न किया तो ये जीवन किस काम का
No comments:
Post a Comment